Lucknow Lok Sabha Elections'2014: Political Demography!!

written by: Khyati Srivastava Date: 24-04-2014.


शाही सीट ‘लखनऊ’ की गणित: किसकी किस पर नज़र?

दिल्ली चलो! देश में १६वीं लोक सभा के गठन हुते चुनावी संग्राम जोरो पर हैं! सबकी नज़र जहाँ देश के सबसे बड़े ‘भाग्य विधाता’ राज्य उत्तर प्रदेश पर टिक्की है तो प्रदेश की राजधानी लखनऊ की उपाधी वैसे ही ‘शाही सीट’ की है| ये माननीय अटल जी का करिश्मा था की १९९१ से अब तक इस शाही सीट पर कमल खिलता आया है| अब इस जादू की चमक फीकी हो रही है| पिछले २००९ के आम चुनावो में भाजप के श्री लालजी टंडन मात्र चालीस हज़ार वोटो से जीते थे| इसीलिए अब हर दल को २०१४ में इस शाही सीट पर बैठने के लिए लखनऊ की गणित को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है|

२०१४ के लोक सभा चुनाव बदलाव की गुहार से लङे जा रहे हैं| विकास एवं भ्रष्टाचार-हीन तंत्र को चुनावी मुद्दा बनाया गया है| परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं की जाती/गरीबी की राजनीती पर चुनाव नहीं लड़ा जा रहा| यह दो पहलु हमारे समाज के अपरिहार्य हिस्से है| राजधानी लखनऊ की शाही सीट के दावेदार भी इन पहलुओ को अच्छे से समझकर इस चुनावी रणभूमि में अपना परचम लहराना चाहते है| यहाँ चार बड़े दावेदार है, भाजप, सपा, कांग्रेस और बसपा| सभी पार्टियों ने अपनी अपनी गणित के पत्ते खोल दिए है|



जहाँ भाजप के खेमे में चार लाख ब्राह्मणों के साथ ही पार्टी की उम्मीद साढ़े तीन लाख कायस्थ और डेढ़ लाख वैश्य पर भी टिकी है| नमो लहर से पार्टी आशा कर रही है की शायद इन वोटो में भिखारव नहीं आयेगा| साथ ही साथ पार्टी ने शाही सीट के लिए इस बार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री राजनाथ सिंह को टिकेट दिया है| ऐसे में पार्टी उम्मीद करती है की साठ हज़ार ठाकुर मतों का भी पार्टी की तरफ ध्रुवीकरण हो सकता है| इसके इलावा पार्टी लगभग एक-डेढ़ लाख पहाड़ी वोटो को भी एकत्रित करने हेतु अथक प्रयास कर रही है तथा मुस्लिम वोटरों का भी कुछ प्रतिशत अपने खेमे में लाने का दावा कर रही है| हालही में पार्टी ज्वाइन करने वाले दलित नेता श्री उदित राज ने भी पार्टी की अपने समाज से मत मिलने की आशा बंधाई है|





पिछले चुनाव में दुसरे पायदान पर रही कांग्रेस ने इस बार भी अपनी प्रत्याशी श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी को ही उतारा है| वर्तमान में रीता जी लखनऊ कैंट छेत्र से विधयक भी है| जहाँ इस छेत्र में लगभग कुल साढे तीन लाख वोटर है वहीँ पार्टी का जातीय समीकरण भाजप से अलग है| अतः कांग्रेस के खेमे में अपेक्षित साढ़े चार लाख मुस्लिम सबसे बड़ा समुदाय है| फिर दीदी का ‘जोशी’ कार्ड से कुछ प्रतिशत ब्राह्मण वोट तथा ‘बहुगुणा’ कार्ड से एक लाख पहाड़ी वोट भी पार्टी के खेमे में देखे जा सकते है| कांग्रेस पार्टी के अपने वर्चस्व के कारण भी लखनऊ से कुछ परंपरागत प्रतिशत वैश्य एवं दलित वोट भी पार्टी के खाते में आ जाते है| इस स्थिति में कांग्रेस देश भर में भारी एंटी-इनकम्बेंसी झेलने के बाद भी लखनऊ की शाही सीट पर बड़ी एवं मजबूत पार्टी है|

बात करे प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की तो लखनऊ की सीट से पहले पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री अशोक बाजपाई जी को मैदान में उतरा गया था परन्तु भाजप के प्रत्यशी घोषित करने के बाद पार्टी ने प्रोफेसर अभिषेक मिश्र को टिकेट दिया है| प्रोफेसर जहाँ लखनऊ उत्तर छेत्र से विधायक है वहीँ २०१२ के विधान सभा चुनावो ने अपनी साफ़ एवं कर्मठ छवि से उन्होंने आश्चर्य जनक जीत हासिल कर श्री लालजी टंडन तथा श्री डी.पी वोरा के सुपुत्रों को पराजित किया था| पार्टी ने उनका यही वर्चस्व देखकर उन्हें ‘मोदी’ लहर को टक्कर देने के इरादे से उतारा है| सपा के खाते में जहाँ दो लाख यादव, साठ हज़ार ठाकुर तथा मुस्लिम समाज का बड़ा प्रतिशत रहता है वहीँ प्रोफेसर मिश्र की ‘ग्रेविटी’ से पार्टी अपेक्षा कर रही है कि लखनऊ उत्तर छेत्र के साढ़े तीन से अधिक मतदाता तथा जातीय समीकरण से एक बड़ा पढ़ा-लिखा उप्पर कास्ट भी खाते में आ जाए| प्रोफेसर मिश्र की विध्याकी जीत के पीछे भी युवाओ का बड़ा योगदान रहा था इसीलिए पार्टी हर समाज के युवा वर्ग पर नज़र गडाए है| इसी सन्दर्भ में पार्टी के खाते में इस बार एक बड़ा ब्राह्मण प्रतिशत मतदान मिलने का अनुमान है| साथ ही साथ प्रोफेसर अभिषेक अपने परिवार व टीम समेत स्ट्रटेगिकली अन्य समाजो से अधिक से अधिक वोट बटोरने की निति पर कार्यशील है| पहाड़ी एवं दलित वोटरों को लेने के लिए पार्टी में शामिल हुए इन समाजो के कई नेता प्रोफेसर के साथ है| वर्तमान में लखनऊ के पांच विधायकी छेत्रो में से तीन पर सपा की पकड़ है| इससे यह सभी समीकरण मजबूत होने के असार भी बन जाते है तथा वयपारी समाज का भी साथ मिल सकता है| ऐसे में सबसे सपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुस्लिम समाज बड़ा निर्णायक रहेगा|

बसपा ने लखनऊ से इस बार पूर्व प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे श्री नकुल दुबे को खड़ा किआ है| श्री दुबे महोना छेत्र से फ़िलहाल विधायक भी है| ऐसे में बसपा की नज़र अपने पारम्परिक दो लाख दलित मतों के साथ ही ब्राह्मण तथा मुस्लिम समाज पर भी टिकी है|

फिर देखना है की लखनऊ में कितनी झाड़ू चलने वाली है| आम आदमी पार्टी से शाही सीट के दावेदारी के लिए अभिनेता जावेद जाफरी आज कल लखनऊ की गलियों में झाड़ू चलाते नज़र आ रहे है| ऐसे में “आप” का किरदार मुस्लिम मतों तथा युवा मतों को और बिखेरने में देखा जा सकता है|


शाही सीट पर कौन जीतेगा और कितने अंतर से जीतेगा यह तो १६मई को पता चलेगा परन्तु इसमे
सबसे ज्यादा निर्णायक रहेगा राजधानी में ३०अप्रैल का मतदान प्रतिशत| यदि पिछले चुनावो की तरह ३५% मतदान हुआ तो जीतने वाले बाज़ीगर भी जीतते जीतते पीछे रह सकते है या बहुत कम मतों से जीत दर्ज होगी| हालाकि ऐसी आशा है की इस बार लगभग ५७-६५% मतदान होगा| ऐसे में मुस्लिम समाज का पक्ष अति निर्णायक रहेगा| शायद इसीलिए चुनाव के आखिरी दिनों के संग्राम में सभी दलों की चाहेल-पहेल लखनऊ की उर्दू सांस्कृतिक गलियों में देखी जा रही है|
बहरहाल सभी दलों के प्रत्याशियओ की किस्मत आगामी ३०अप्रैल को सुबह ७बजे से संध्या 6बजे तक लखनऊ की जनता अपना जनादेश द्वारा “ई.वी.ऍम” मशीन में कैद कर देगी|

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