लो एक और दामिनी दफन हुई
लो एक और दामिनी दफन हुई,
एक और बेटी हैवानियत का शिकार हुई।
लो एक और बहन लिंग भेद से भस्म हुई,
एक और ज्योति पैतृक अहंकार के आगे लुप्त हुई।
तुम फिर भी झुठलाना समाज में जाति लिंग भेद है कोई,
तुम फिर भी बतलाना कैसे बदलते समय में समान अधिकार दिए है कोई।
यूँ तो खूब विकास बयार बही...
पर ये चिकनी चौड़ी सड़कें भी विकृति न ठीक कर सकी।
या फिर तुम दिखलाना समाज के नियम कड़े,
जहां सबके बड़े दायरे निर्धारित है सही,
या फिर तुम दावे करना कि लड़कियों की है मर्यादाएं कई।
तुम बतलाना उसकी आवाज़ उसका अस्तित्व ही है बाधा बड़ी।
सफेद पोश तुम शासन प्रशासन पर करना खींच तनी,
पक्ष विपक्ष के खेमों में बंध विवाद करना अभी।
जय भीम या नारीवाद का परचम लहराने का मौका है यही।
उसे अबला कहना और बहस में बातें रखना बड़ी बड़ी।
पर राह चलते स्त्री भक्षण और जातिगत गालियां तुमको सामान्य लगी,
खुद के आंगन में बेटे को गाड़ी बंदूक, बेटी को गुड़िया देते न दिखा भेद कोई।
जहां बीवी पराये घर से लाई सेवक भर रही,
यूँ ही, कन्या भ्रूण हत्या और दहेज की मांगें घरेलू बातें भर रही।
ऐसे ही, जब कामगारों से अपने बर्तनों से बाट न सके तुम पानी,
उपनामों से किसीके स्तर की धारणा बनाकर जिये यहीं।
स्वयं की जाति से इतराया गुरुर चमकाई गरिमा अपनी,
यूँ ही, जातिसूचक कहावतों को हँसी में उड़ाना है आयी गयी।
ख़ैर इसी बीच, लो एक और दामिनी दफन हुई,
अपने साथ अपने जन्म का दोगुना बोझ उतार चली।
#HathrasGangRape
Great mam
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