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लो एक और दामिनी दफन हुई

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लो एक और दामिनी दफन हुई, एक और बेटी हैवानियत का शिकार हुई।  लो एक और बहन लिंग भेद से भस्म हुई, एक और ज्योति पैतृक अहंकार के आगे लुप्त हुई।  तुम फिर भी झुठलाना समाज में जाति लिंग भेद है कोई, तुम फिर भी बतलाना कैसे बदलते समय में समान अधिकार दिए है कोई। यूँ तो खूब विकास बयार बही... पर ये चिकनी चौड़ी सड़कें भी विकृति न ठीक कर सकी।  या फिर तुम दिखलाना समाज के नियम कड़े, जहां सबके बड़े दायरे निर्धारित है सही, या फिर तुम दावे करना कि लड़कियों की है मर्यादाएं कई।  तुम बतलाना उसकी आवाज़ उसका अस्तित्व ही है बाधा बड़ी। सफेद पोश तुम शासन प्रशासन पर करना खींच तनी, पक्ष विपक्ष के खेमों में बंध विवाद करना अभी।   जय भीम या नारीवाद का परचम लहराने का मौका है यही।  उसे अबला कहना और बहस में बातें रखना बड़ी बड़ी।  पर राह चलते स्त्री भक्षण और जातिगत गालियां तुमको सामान्य लगी, खुद के आंगन में बेटे को गाड़ी बंदूक, बेटी को गुड़िया देते न दिखा भेद कोई।  जहां बीवी पराये घर से लाई सेवक भर रही,  यूँ ही, कन्या भ्रूण हत्या और दहेज की मांगें घरेलू बातें भर रही।  ऐसे ही,  जब कामगारों से अपने बर्तनों से बाट न सके तुम पानी, उपनामो

Agenda Elections 2019: Chowkidar vs Berozgar - Catalysing the Raging Indian Youth for a mature Democracy

Email: khyati.khush@gmail.com  Home to over 133 crores of people (~18% of world population), and nearly 90 crores of which are eligible for universal suffrage, makes India indeed world’s largest democracy. An active proportion of this “90 crores” will participate in yet another dance of democracy during the summers of 2019. Republic of India will decide its fate for another 5years by choosing its leaders for the 17 th time after independence. Given to the wide scale of this festival of democracy celebrated every 5-years in the country, it is reasonable to thoroughly comprehend the over arching agenda on which the political parties are trying to woo the vast voters base in the country. Recap 2014 The last General Elections held in 2014 were indeed a landmark. The 2014 elections witnessed the people venting out their frustration against rampant political class corruption. This anger and frustration got seeded amongst the voters during the 3 preceding years of the elections,

समाज का आडम्बर – नारी पर पहला वार

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Email - khyati.khush@gmail.com उसकी चीखों पर सन्नाटा, और ख़ामोशी पर शोर है| उसके चिथड़ों में फैले समाज के आडम्बरों का ढेर है| ऐसे तो हर युग में नारी की अस्मिता को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, परन्तु धर्म अधर्म की परिभाषाएं समाज में स्पष्ट रही है| पर आज समाज आडम्बर की मोटी चादर ओढ़ नारी के चीर हरण का न केवल तमाशबीन बल्कि उपहास करता है| रेप जैसा जघन्य अपराध मीडिया की टीआरपी और बुद्धिजीवी वर्ग के लिए भोजन मात्र बनता जा रहा है| आज़ाद भारत में नेशनल क्राइम ब्यूरो हर वर्ष रेप का आकड़े प्रकाशित करता है| रेप की खिलाफ आन्दोलनों का स्वतंत्र भारत में लम्बा इतिहास रहा है| भारत में रेप के खिलाफ आंदोलनों का इतिहास  वर्ष 1978-80 में जब समाज के रक्षकों के भक्षक बन हैदराबाद की रामीज़ा बी और महाराष्ट्र की 16वर्षीय मथुरा के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया तो पूरा देश उबलने लगा| चुकीं इन दोनों मसलों में पुलिस के कर्मचारी ही अपराधी रहे, देश में सरकार के खिलाफ इतना भयंकर प्रदर्शन हुआ की थल सेना की सहायता लेनी पड़ी| ये पहली बार था की उच्चतम न्यायलय से लेकर संसद तक रेप के खिलाफ सख्त कानून व्

गौरवपूर्ण जीवन और मृत्यु का अधिकार

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Email : khyati.khush@gmail.com माया मरी न मन मरा, मर मर गये शारीर| आशा तृष्णा सब मरी, कह गये दास कबीर|| कबीर दास के इस दोहे में जीवन-मृत्यु चक्र के दर्शन का व्यापक भाव व्यक्त होता है| ऐसे तो मृत्यु शास्वत सत्य है, पर यह भी सत्य है की मृत्यु ही मनुष्य का सबसे बड़ा भय है| इतिहास गवाह है , मृत्यु पर विजय पाने हेतु मनुष्य ने हर काल में न न प्रकार के प्रयत्न किये है| जीवन रेखा को लम्बा बनाये रखने हेतु ज्ञान विज्ञान प्रौद्योगिकी द्वारा विश्व में आये दिन नई खोज होती है| ऐसे में क्या इच्छा मृत्यु एक निरर्थक वरदान है | बेहतर स्वास्थय के सुचिकांक हर देश के समग्र विकास के ग्योतक है| भारत जैसे विकासशील देश भी स्वास्थ्य सेवाओं पर सकल घरेलु उत्पाद का लगभग 5% खर्च करता है| [1]   आजादी (1947) के बाद भारत में life expectancy 35वर्ष थी, और अब सुधर कर लगभग 68वर्ष (2015) है| स्वस्थ्य जीवन सभी का अधिकार है| भारतीय संविधान सभी नागरिकों को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत ‘राईट टू लिव’ का अधिकार भी देता है – जिसके तेहत देश का संविधान प्रत्येक नागरिक को सार्थक, संपूर्ण एवं गौरवशाली जीवन जीने का अधिकार

Beti Bachao, Beti Padhao - Count Ghar ki Laxmi's integral role

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Email: khyati.khush@gmail.com It is said, that status of women in a society determines status of development of the society, and that when you educate a man, you educate an individual, you educate a woman, you educate an entire family. India has a rich history of empowered women. However, gradually the status of women degraded to the extent that female foeticide got widely practised. This resulted in wide gender disparities in the Indian society. The GII (Gender Inequality Index) for India in 2013 was 0.563, ranking 127th out of 186 countries. Child Sex Ratio (0-6years) in India continued to decline from 945 in 1991 to 927 in 2001 and 918 in 2011 census. Women in India - Kal aur Aaj  India has been an agricultural country - ' krishi pradhan desh' . Predominantly, agriculture and allied activities are dependent on family labour, with women playing an integral role and have been acknowledged as an economic asset. If you see all festivals in India revolve ar