Lucknow Lok Sabha Elections'2014: Elections & Campaigning!
लखनऊ: पार्टी, प्रत्याशी और प्रचार
भारत भाग्य विधाता! जी हाँ!
भारत की चुनाव शैली ने भारत की जनता को भारत भाग्य विधाता का कर्त्तव्य थमाया है!
बीती ३०अप्रैल को देश के राजनितिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण प्रदेश उत्तर
प्रदेश में १४ सीटो पर चुनाव संपन्न हुए| जहाँ प्रदेश में २.४६ करोड़ मतदाताओ ने
२३२ उम्मेदवारो पर अपना फैसला EVM में कैद किआ है, वहीँ १४ सीटो में से एक लखनऊ की
शाही सीट पर भी १९.५ लाख मतदताओ ने कई दिग्गज नेताओ की किस्मत का फैसला EVM में
कैद कर दिया है|
लखनऊ को राजनीतिक गलियारों
में हमेशा से ही गहन स्थान प्राप्त है| प्रदेश की राजधानी होने के साथ ही लखनऊ कई
दिग्गज नेताओ का गढ़ रहा है| २०१४ के चुनावो में भी राजधानी की यह गरिमा बनाए रखते
हुए सभी पार्टियों ने अपने बड़े बड़े पत्ते खोले है| जहाँ भाजप से पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ से सह-परिवार चुनाव में जोर डाला, तो
वहीँ पिछले चुनाव में दुसरे पैदान पर रही कांग्रेस की श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी
ने इस बार फिर अपनी दावेदारी दी| प्रदेश की सत्ता रूढ़ समाजवादी पार्टी ने अपनी
दावेदारी मजबूत करते हुए प्रत्याशी श्री अशोक बाजपाई को बदलते हुए लखनऊ उत्तर के
विधायक एवं राज्य विधान मंत्री प्रोफेसर अभिषेक मिश्र को मैदान में उतरा| इस
“आदर्श युवा विधायक” ने भी सह-परिवार बखूबी अपना दम दिखाया और सभी दिग्गजों को
बहुत कड़ी टक्कर दी| बसपा ने वहीँ अपने पूर्व नगर विकास मंत्री श्री नकुल दुबे को
मैदान में भेजा तो लखनऊ के चुनाव को रोचक रूप देने आम आदमी पार्टी ने अभिनेता श्री
जावेद जाफ्फ्री को लखनऊ से टिकेट दिया|
सभी दलों ने शाही सीट पर
अपनी दावेदारी हेतु सोच-समझकर अपने अपने धुरंधर दिए है| बहरहाल, सभी नेताओ की
किस्मत तो एक-एक वोट से ही लिखी जाती है| इसीलिए महीने भर इन सभी उम्मेदवारो ने
सह-परिवार एवं आपने कार्यकर्ताओ की मदद से पूरी जान लगाकर, हर समाज, हर
गली-मोहल्ले में जाने का प्रत्यन किया| चाहे राजनाथ जी के पुत्र, पुत्रिया,
धर्मपत्नी हो जिन्होंने राजनाथ जी की व्यस्तता के कारण लखनऊ में प्रचार की कमान
सम्भाली| कहीं पुत्र पंकज सिंह तो कहीं उनके अनुज नीरज सिंह ने हर छेत्र में
प्रचार करने का प्रत्यन किया तो कहीं राजनाथ जी की धर्मपत्नी श्रीमती सावित्री
सिंह जी ने अपने पति के लिए वोट अपील की| यहाँ तक की पिता के प्रचार के लिए पुत्री
अनामिका भी दिल्ली से लखनऊ आई एवं कई सभाओ में जाकर पिता के वोट अपील की| राजनाथ
जी का चुनाव कार्यालय प्रदेश कार्यालय के निकट हलवासिया बिल्डिंग में बनाया गया| देश
मे नमो नमो का जप्प चहु-ओर है| देश परिवर्तन मांग रहा है और भाजप ने ये मौका बखूबी
भुनाया है| ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह पर जिम्मेदरिया भी अधिक
है| दिल्ली जीतने की तैयारी में राजनाथ जी को लखनऊ भी जीतना है| लखनऊ को वैसे भी
भाजप की “सेफ-सीट” कहते है| किन्तु पिछली बार मात्र ४०००० मतों से हुई जीत से
पार्टी कत्तई निश्चिन्त नहीं बैठ सकती थी| इसीलिए यह ज़िम्मेदारी श्री राजनाथ जी को
दी गई| राजनाथ जी जहाँ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यामंत्री रह चुके है वहीँ शिक्षा
मंत्री के तौर पर भी उनके किये गए कार्य प्रदेश में अज भी सराहे जाते है| फिर भी
राजनाथ जी को चुनाव में अपनी जीत निश्चित करने के लिए पूरा दम लगाना पड़ा|
प्रत्याशी घोषित होने के बाद वह राजधानी पधारे और इन्तेजा की जनता मुझे जीता दे मै
धन्यवाद देने तो ज़रुर आऊगॉ| विरोधियो को इस कथन से मौका मिला| पर शीघ्र ही राजनाथ
जी ने राजधानी में बड़े जुलुस के साथ अपना नामांकन दर्ज किया| फिर जल्द ही रोज़ शाम
लखनऊ के कई इलाकों में राजनाथ की सभाऍ होने लगी| कई स्टार प्रचारक जैसे, नवजोत
सिंह सिद्धू, शत्रुघ्न सिन्हा, राजू श्रीवास्तव, आदि भी राजधानी की गलियों को चार
चाँद लगा गए| पहाड़ी वोट बटोरने हेतु पूर्व उत्तराखंड मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह
कोशियारी जी एवं सतपाल महाराज भी राजधानी आए| कायस्थ वोट खीचने हेतु श्री यशवंत
सिन्हा भी राजधानी आए| हालही में पार्टी में शामिल हुए दलित नेता श्री उदित राज ने
भी अपने समाज के वोट भाजप में केन्द्रित करने हेतु राजधानी में पधारे| २६ अप्रैल
को सब कुछ छोड़ राजनाथ जी सिर्फ लखनऊ में प्रचार के लिए लग गए| २७ एवं २८ अप्रैल को
राजनाथ जी का विशाल रोड शो हुआ| जिसमे लखनऊ के वर्त्तमान सांसद श्री लाल जी टंडन,
सबके चाहिते मेयर डॉक्टर दिनेश शर्मा जी, विख्यात विधायाक श्री सुरेश श्रीवास्तवा,
MLC श्री महेंद्र कुमार जी, साथ ही
कई गणमान्य नेता जैसे मध्य प्रदेश के मुख्या मंत्री श्री शिव राज सिंह चौहान जी,
छत्तीसगढ़ के मुख्या मंत्री श्री रमन सिंह जी, गोवा के मुख्या मंत्री श्री मनोहर
परिकर जी, पूर्व अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी जी आदि भी शामिल हुए| सोशल-मीडिया से
लेकर मोहल्ला सभा तक, रोड शो से लेकर समाज सभाओ तक, भाजप ने हर स्ट्रेटेजी को
उपयोग में लाया| साथ ही नमो लहर को बरक़रार रखते हुए राजधानी में चुनाव से पहले दो
3D होलोग्राम शो भी हुए| प्रचार में ABVP का छात्रो ने तथा RSS के स्वंसेवको ने भी
सहयोग किया|
कांग्रेस
की प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी भी सह-परिवार चुनाव में अपनी साख बचाने में लगी
रही| श्रीमती रीता लखनऊ कैंट छेत्र से वर्तमान विधायक भी है तथा २००९ के पिछले
चुनाव में मात्र ७% मतों से हारने के कारण इस बार अपन जीत सुनिश्चित करना चाहती
थी| पुत्र मयंक एवं पति श्री जोशी ने भी इस प्रयास में साथ दिया| रीता दीदी की
लड़ाई सीधे भाजप के राजनाथ जी से थी| अतः अपनी हर सभा में उन्होंने लखनऊ की जनता को
किसी भी बहकावे न आने के लिए चेताया और साथ ही साथ कांग्रेस ने अपना ब्राह्मण
कार्ड भी खेला| दीदी का सहयोग करने जहाँ अभिनेता तथा सांसद राज बब्बर और नगमा
राजधानी आए तथा मशहूर निर्माता निर्देशक महेश भट्ट भी लखनऊ आए, तो पार्टी के
वरिष्ठ नेता जैसे श्री मणि शंकर अईय्यर, श्री प्रकाश जैसवाल, सलमान खुर्शीद आदि भी
आए| हलाकि इन नेताओ के आगमन पर ज्यादा शोर-शराबा नहीं हुआ बल्कि शांति पूर्वक
कार्यालय में चुनाव-नीति तथा छोटी-मोटी सभाए हुई| २४ अप्रैल को पार्टी के युवराज,
सबके चाहिते, युवा जोश से भरे श्री राहुल गाँधी जी भी रीता दीदी के लिए लखनऊ की
जनता वोट-अपील करने हेतु राजधानी में एक विशाल रोड शो में शामिल हुए| इस रोड-शो ने
दीदी की महत्व्कंशाओ में और जान डाली| जीत के लिए कांग्रेस की नज़र थी राजधानी के
१९% मुस्लिम आबादी पर जो की भाजप की लहर में बहने को तैयार नहीं है| सत्तारुड
समाजवादी पार्टी से कांग्रेस को लड़ने के लिए इसी समाज का सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण
है| भाजप नेता गिरिराज के दुर्भाग्य पूर्ण कथन को कांग्रेस ने लखनऊ में अपने फ़ायदे
में भुनाया और सपा नेता श्री अजम खान के निरंतर आते विवाद्स्पक कथनों को पार्टी ने
अपने फ़ायदे में भुनाने की पूरी कोशिश की|
सत्तारूढ़
समाजवादी पार्टी ने अपना होनहार सच्चा क़ाबिल नेक युवा एवं भरोसेमंद प्रत्याशी
प्रोफेसर अभिषेक मिश्र का चुनाव प्रचार हेतु उनकी मैनेजमेंट क्षमता पर निर्भर होते
हुए उनके परिवार को पूरा सहयोग दिया| प्रोफेसर मिश्र यूनीवरस्टी ऑफ़ कैंब्रिज से
शिक्षित तथा IIM-अहमदाबाद में ६वर्ष शिक्षक रहे है| उनके पिता श्री जी.एस मिश्र
पूर्व IAS अधिकारी है तथा धर्मपत्नी श्रीमती स्वाति मिश्र भी IIM-लखनऊ में
शिक्षिका है तथा वह भी प्रबंधन छेत्र में निपुण है| वर्ष २०१२ के विधान-सभा चुनावो
में भी प्रोफेसर मिश्र ने अपनी छवि एवं इसी कुशलता के कारण लखनऊ उत्तर से श्री लाल
जी टंडन एवं श्री नीरज बोरा के पुत्रो को हराते हुए अपनी जीत दर्ज की थी| जीतने के
महज़ दो-वर्षो में ही अपने छेत्र में गंभीरता एवं तेज़ी से किये गए विकास-कार्यो के
करण ही उन्हें “फ्लाईओवर मंत्री” तथा पुणे के MIT-स्कूल ऑफ़ गर्वनमेंट में श्री
टी.एन सेशन तथा अन्य गडमान्य लोगो द्वारा “आदर्श युवा विधायक” से भी नवाज़ा गया है|
प्रोफेसर मिश्र को मैदान में उतार कर सपा ने लखनऊ के सांसद की लड़ाई को और भी रोचक
बनाया और श्री मिश्र माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी के राजनाथ जी को कड़ी
टक्कर देने के इरादे पर भी खरे उतरे| प्रोफेसर मिश्र के आने से राजधानी में दिल्ली
की लड़ाई तीन दशक बाद कई पालो में बराबरी से बटती नज़र आती है| २०१४ में लखनऊ के
सांसद की लड़ाई त्रि-कोणीय (त्रिंगुलर) है|


सपा
ने अपने प्रत्याशी की जीत निश्चित करने हेतु पूरे अप्रैल माह में दम लगा दिया|
अचानक से हुए घोषणा से पहले सभी कार्यकर्ताओ को एक-जुट करने में प्रोफेसर मिश्र के
परिवार को थोडा समय लगा| फिर डंके की चोट पर प्रचार शुरू हुआ जिसने सभी विरोधियो
के पसीने छुड़ा दिए| सपा के खाते में एक प्लस पॉइंट था की लखनऊ में पांच विध्याकी
छेत्रो में से तीन पर उनका झंडा है| प्रबन्धन शिक्षिका प्रोफेसर की पत्नी स्वाति
मिश्र ने विधायकी छेत्र क्रमशः टीम बनाई| हर टीम का एक-अध्यक्ष तथा उसके साथ उसके
कार्यकर्ता और महिला टीम के साथ हर छेत्र में प्रचार करने का सिलसिला शुरू हुआ| इन
प्रचारों में स्वयं स्वाति जी ने तथा प्रोफेसर मिश्र के भाइयो, बहनों, माता तथा
पिता ने भी बड-चढ़ कर हिस्सा लिया और प्रोफेसर मिश्र के लिए वोट अपील की| नवरात्री
के जगराते हो, मोहल्ला सभा हो, किसी का गृह-प्रवेश हो, या किसी भी समाज की कोई सभा हो, प्रोफेसर के परिवार ने
हर मौके पर अपने लिए सपोर्ट और वोट बनाने की कोशिश की है| वहीँ प्रोफेसर मिश्र का
चुनाव कार्यालय समाजवादी युवजन सभा के कार्यालय की बिल्डिंग में बनाया गया| यहाँ
सपा के मुख्य-चुनाव अधिकारी की देख रेख में प्रोफेसर मिश्रा का प्रचार जोरो पर था|
रणनीति थी हर समाज, हर गली-मोहल्ले तक पहुँच कर सरकार के कार्यो का व्याख्यान तथा
प्रोफेसर मिश्रा के न्रेतित्व की कुशलता एवं क्षमता का गुडगान करना| प्रचार में
युवजन सभा के छात्रो ने भी पूरा सहयोग किया| कन्नौज से श्रीमती डिंपल यादव के
चुनाव प्रचार मंडली से भी एक टीम लखनऊ भेजी गई| स्कूल कॉलेज या यूनिवर्सिटी हो या
फिर हो कोई भी सामाजिक दल/समुदाय, सपा ने हर तरीके से हर ज़रिये से वोट केन्द्रित
करने का प्रेस किया| २७ अप्रैल को
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का प्रोफेसर अभिषेक के लिए आयोजित रोड-शो में उमड़े सपा
कार्यकर्ताओ संग जन सैलाब से अभिषेक जी का मनोबल तो बढ़ा ही साथ ही लखनऊ में सपा की
बराबरी की टक्कर भी सिद्ध हुई| चुनोती थी मोदी लहर! ऊपर से प्रोफेसर मिश्र के लिए
सपा के लिए बढ़ता विरोध और वरिष्ठ नेताओ के भाषणों पर उठते विवाद भी बड़ी चुनोती थी|
ऐसे में स्ट्रेटेगिकली प्रोफेसर ने लखनऊ में २३वर्ष से चले आ रही शाही सीट पर
‘बड़े’ नेताओ के कब्जे को ललकारा और जनता को चेताया की इससे उन्हे कुछ नहीं मिलता|
उनका मौलिक विकास देखने सुनने के लिए उन्हें उनके ही बीच के किसी निपुण व्यक्ति को
इस बार जितना चाहिए| हलाकि धीरे धीरे पार्टी ने भाजप में न जाने वाले तथा भ्रमित
अल्पसंखयक मतों पर निशाना साधना शुरू किया|
बसपा
ने श्री नकुल दुबे को उतर कर अपनी दावेदारी तो सिद्ध कर दी परन्तु यह दावेदारी
मात्र वोट काटने भर की प्रतीत हो रही थी| बसपा ने प्रचार में जड़ा जोर् नहीं लगाया,
जबकि नकुल दुबे का ब्राह्मण कार्ड तथा पूर्व मंत्री होने का कार्ड बेहतर इस्तेमाल
किया जा सकता था| यदि एक बार स्वयं बहन कुमारी मायावती की राजधानी में कोई सभा या
रैली आयोजित की जाती तो नकुल जी के खाते में बहुत वोट जा सकते थे| ऐसा प्रतीत होता
है की राजधानी में NRHM घोटाले के कलई खुलने से और बसपा के कई वरिष्ठ मंत्रीयो के
खिलाफ कार्यवाही होने की वजह से बसपा ने राजधानी में अधिक समय देना उचित नहीं
समझा| सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री सतीश मिश्र ने नकुल जी के प्रचार में
बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया| बहरहाल, बसपा ने उचित प्रत्याशी देते हुए अपनी लड़ाई मजबूत
ज़रुर रखी है| जहाँ इस पाले में दलित मतों के साथ कुछ प्रतिशत ब्राह्मण मत आएँगे तो
भाजप में जाने वाले सपा से नाखुश अन्य मत भी जा सकते है|
इन
चुनावो में पहली बार आई आम आदमी पार्टी की रोचक पात्रता से राजधानी की चुनावी हवा
रोमांचक रही| अभिनेता जावेद जाफरी को मैदान में उतार कर ‘आप’ ने लखनऊ में अपनी
गैर-मौजूद छवि को अचानक रोशन कर दिया साथ ही साथ अन्य पार्टियों के लिए सरदर्दी!
श्री जाफरी की जीत का नामुमकिन थी परन्तु, सबकी नज़र इस बात पर रही की वह कितने
प्रतिशत मतों पर दावेदारी बना पाएँगे| आप ने अपना प्रचार अपनी पार्टी के एजेंडे से
अनुरूप ही रखा, ‘भ्रष्टाचार के वृरुध लड़ाई एवं स्वराज लाना’| श्री जाफरी ने सभी
सभाए, रैलियाँ, रोड शो आदि भी आम-आदमी के व्यव्हार से किये| प्रचार के अंतिम दौर
को देखा जाए तो प्रतीत होता है की नज़र थी मुस्लिम वोट-बैंक जिस पर लखनऊ में हर
पार्टी की नज़र थी| बेहरहाल, आप ने राजधानी में सबसे ज्यादा सरदर्दी बढाई है
छेत्रिय दलों की, जिसका अल्पसंख्यक मत ज़रूर आप में बट्ट जायेगा| आप के प्रचार में
राजधानी को चार चाँद लगे| श्री जाफरी के लिए वोट अपील करने अर्चना पूरण सिंह, रघु,
विशाल भरद्वाज, आदि लखनऊ आए, तो जाफरी का परिवार, बीवी हबीबा, भाई नवेद तथा पिता
जगदीप भी जुटे रहे|
खैर
३०अप्रिल को लखनऊ की जनता ने कुल २९ प्रत्याशियों पर अपना फैसला EVM मशीन में कैद
कर दिया है| ५२.९४% मतदान होने से राजधानी में नवाबियत का पिछला रिकॉर्ड तो टुटा
है किन्तु यह सरह्निये नहीं है| सबसे ज्याद वोटिंग भाजप के वरिष्ठ नेता श्री कलराज
मिश्र के विध्याकी छेत्र लखनऊ पूर्व में हुआ| इसीके साथ लखनऊ की सड़के शांत हो गई|
जहाँ हर दिन हर दूसरी गली में नारे-बज्जी की ध्वनि आती थी, वहां अब सब बेसब्री से
१६मई का इंतज़ार कर रहे है| श्री राजनाथ जी जहाँ भाजप के अन्य प्रत्याशियों के
प्रचार में जुट गए तो अन्य प्रत्याशियों को कुछ दिन का आराम ज़रुर मिला है| आने
वाली १६मई का सबको बेसब्री से इंतजार है| हर पार्टी हर प्रत्याशी पर जनादेश लागु
हो जाएगा| लखनऊ की शाही सीट से २०१४ का उत्तराधिकारी भी घोषित हो जाएगा|
"Nawaabiyat" :) nice term
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